Saturday, October 11, 2025

अंत समय में जिसका चिंतन होगा वहीं वापस जाना पड़ता है : श्री विभुजी महाराज

बिलासपुर । सद्गुरुदेव सतपाल जी महाराज की प्रेरणा से मानव उत्थान सेवा समिति छत्तीसगढ़ द्वारा 8 अक्टूबर से 12 अक्टूबर तक सद्भावना कार यात्रा के तृतीय दिवस 10 अक्टूबर को सद्भावना सम्मेलन आश्रम के पास बिलासपुर में आयोजित किया गया जिसमें मुख्य प्रवक्ता के रूप में परमपूज्य श्री विभु जी महाराज के मुखारविंद से सत्संग प्रवचन हुआ जहां हजारों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचे।



        सद्भावना सम्मेलन में श्री विभु जी महाराज ने श्रद्धालुओं को आशीर्वचन देते हुए कहा कि तु मन बने बने कह कर संबोधित करते हुए सत्संग में कहा कि आपके छत्तीसगढ़ में आकर मेरा मन बच्चों जैसा हो जाता है, अगर हम अपने जीवन को देखें कि हमारा जीवन पहले कैसा था, आज कैसा है, यह जो बदलाव हमारे जीवन में हुआ है, एक व्यक्तित्व का, समझ का, सूझ-बूझ का, आज हम अपने आपको पहले की तरह नहीं मान पाते, बहुत सारी रूप-रेखाओं में तो इसके पीछे जीवन के संघर्षों का एक बहुत बड़ा हाथ है, क्योंकि जीवन में अगर वे संघर्ष-परेशानियाँ, यह दुःख नहीं होता, तो जो व्यक्तित्व आज हमने पाया है, वह व्यक्तित्व भी हमारा नहीं बन पाता। अकसर यह होता है कि जब बुरा समय आता है तो हमारा मन इतना निर्बल हो जाता है कि हम ये नहीं सोच पाते कि इससे परे भी एक जीवन है। अगर हम दुःख में हों, तो उस दुःख के साये में ही अपने जीवन को जीते हैं और बार-बार मन उसी वस्तु का चिंतन करता रहता है। इसलिए महापुरुष कहते हैं कि अपने मन को समझो। मन ही दुःख का कारण है, मन ही बंधन का कारण है एवं मन ही मोक्ष का भी कारण है। अब आप ही सोचिए, आप ही देखिए, जीवन को जीना हमें हर दिन होता है। मोक्ष और शांति, ये बहुत बड़ी जीवन की उपलब्धि है, जिसके बारे में हमारे शास्त्रों में वर्णन किया गया है, लेकिन शास्त्रों में ये भी बताया गया है कि जिन लोगों ने मोक्ष की प्राप्ति की, उन्होंने कितनी साधना की और कितना संघर्ष किया अपने जीवन में। इस आधुनिक जीवन में ऐसी मानसिकता से घिर गए हैं कि हम चाहते तो हैं कि हमारे जीवन में शांति हो, लेकिन उसके लिए कोई त्याग और तपस्या नहीं करना चाहता है, और अंत समय में जिसका चिंतन करोगे वही वापस जाना पड़ता है।

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